Korba

आंगनबाड़ी की जगह फर्म बने सक्षम : अविद्युतीकृत केंद्रों को बांट डाले करोड़ो के एलईडी, पड़ताल में आकांक्षी जिला कोरबा में भ्रष्टाचार की खुली पोल, पढ़िए पूरी खबर

कोरबा । आकांक्षी जिला कोरबा में महिला एवं बाल विकास विभाग को हितग्राहियों से ज्यादा फर्मों के हितों की परवाह है। सक्षम आंगनबाड़ी योजना के तहत जिले के ऐसे आँगनबाड़ी केंद्रों को भी एलईडी दे दिए गए हैं जो विद्युतीकृत ही नहीं। जर्जर हो चुके अहाताविहीन आंगनबाड़ी केंद्रों को संवारने की जगह फर्म विशेष को लाभ पहुंचाने की नीयत से कांग्रेस शासनकाल में जिले में संचालित 2561 केंद्रों में से 700 आंगनबाड़ी केंद्रों में प्रदाय किए गए 7 करोड़ रुपए की सामाग्रियों की गुणवत्ता एवं उपयोगिता पर सवाल उठ रहे।

यहां बताना होगा कि संचालनालय महिला एवं बाल विकास विभाग छत्तीसगढ़ शासन ने आंगनबाड़ी केंद्रों को संवारने सक्षम आंगनबाड़ी योजना शुरू की है। जिसमें चरणबद्ध तरीके से ऐसे आंगनबाड़ी केंद्रों को शामिल किया जा रहा है जहां, भवन, विद्युतीकरण, जल स्रोत, अहाता आदि हो। ऐसे आंगनबाड़ी केंद्रों को पूर्ण रूप से सक्षम बनाने संचालनालय की तरफ से एलईडी टीवी, पेटी, फर्नीचर, रैक, अलमीरा, दरी, पंखा एवं बर्तन सामाग्री प्रदाय की जा रही है। कांग्रेस शासनकाल में फर्म विशेष को लाभ पहुँचाने विधानसभा चुनाव पूर्व की गई करोड़ों रुपए की सामाग्री में न केवल गुणवत्ता को हाशिए पर रख दिया गया वरन ऐसे केंद्रों को भी लाभान्वित कर दिया गया जो योजना से लाभान्वित होने के अपात्र हैं।

आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले में पड़ताल में विभाग के भ्रष्टाचार के कारनामे की पोल खुल गई। शासकीय फंड का इस कदर दुरुपयोग किया गया है कि अविद्युतीकृत आंगनबाड़ी केंद्रों को भी योजना से लाभान्वित कर दिया गया है। कोरबा बंधु न्यूज़ की पड़ताल में पसान परियोजना के आंगनबाड़ी केंद्र नवापारा समलाई,पोंडी परियोजना के जटगा सेक्टर के आंगनबाड़ी केंद्र माँझीपारा, कोरबा शहरी परियोजना के आंगनबाड़ी केंद्र पुराना बस्ती क्रमांक 1, कोरबा ग्रामीण परियोजना के बेंदरकोना 2, करमंदी(बाँधपारा ), एवं तिलकेजा क्रमांक 3 अविद्युतीकृत मिले। इनमें से कुछ जगह कार्यकर्ताओं ने जरूर अपने खर्चे पर अस्थाई तौर पर लाइन खिंचवाया है पर ये केंद्र अविद्युतीकृत है । निसंदेह इन केंद्रों के अलावा सैकड़ों ऐसे केंद्र होंगे जहां बिजली नहीं है लेकिन करोड़ों रुपए के एलईडी दे दिए गए हैं। इस तरह जानबूझकर मापदण्डों की अनदेखी कर शासकीय फंड का बंदरबाट किया गया है।

कहीं बंटे नहीं, कहीं इंस्टाल नहीं हुए तो कहीं कार्यकर्ताओं ने घर में रखे हैं सामाग्री

हमारी पड़ताल में जिले के विभिन्न क्षेत्रों के आंगनबाड़ी केंद्रों में सक्षम योजना की सामाग्री को लेकर हैरान करने वाली स्थिति नजर आई। पोंडी परियोजना के रावा सेक्टर के धौराभांठा, कोरबा ग्रामीण के बेंदरकोना, करमंदी (बाँधपारा ) में एलईडी इंस्टाल (चालू ) ही नहीं हुए है। वहीं पसान परियोजना के नवापारा समलाई, पुरानी बस्ती क्रमांक 01में सामाग्री ही नदारद मिली। कार्यकताओं ने बताया कि जगह के अभाव में उन्होंने सामाग्री घर पर रखा है। वहीं पोंड़ी उपरोड़ा के जटगा सेक्टर के माँझीपारा, कोरबा शहरी के मुड़ापार क्रमांक -3 में कार्यकर्ता ने सामाग्री ही प्राप्त नहीं होने की बात कही।

भौतिक सत्यापन व गुणवत्ता परीक्षण की दरकार

नियमानुसार 30 फीसदी सामाग्री का तकनीकी जानकार अधिकारियों से भौतिक सत्यापन कराया जाना चाहिए जिसमें आईटीआई के प्राचार्य या महाप्रबंधक उद्योग विभाग के अधिकारी हो सकते हैं। लेकिन विश्वस्त सूत्रों के अनुसार किसी एक आईटीआई के प्राचार्य ने फर्म से रिश्तेदारी निभाने पूरे जिले के सभी दसों परियोजनाओं के लिए प्राप्त सामाग्री का नियम विरुद्ध भौतिक सत्यापन कर संतुष्टि प्रमाणपत्र दे दिया। पृथक पृथक प्राचार्य अपने क्षेत्रों की सामाग्रियों का सत्यापन करते।

निश्चित तौर मामला गम्भीर है, पूरे प्रदेश में करीब 100 करोड़ रुपए से भी अधिक की खरीदी का मामला है। फर्नीचर, अलमीरा ,पेटी ,रेक की गुणवत्ता दोयम दर्जे की होने की जानकारी मिल रही। लिहाजा नए सिरे से गुणवत्ता परीक्षण कर भौतिक सत्यापन किए जाने की दरकार है। छत्तीसगढ़ की बीजेपी सरकार अब इस प्रकरण पर संज्ञान लेकर आवश्यक जांच कार्रवाई सुनिश्चित करती है या मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा ,यह आने वाले वक्त में देखना दिलचस्प होगा।

ऐसा बंदरबाट कि डीएमएफ से लाभान्वित हो चुके फिर भी लाभान्वित कर रहे, जर्जर केंद्रों की सुध नहीं

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस शासनकाल में किस कदर आंगनबाड़ी केंद्रों को संवारने के नाम पर शासकीय फंड की लूट मची थी इसकी बानगी पड़ताल में देखने को मिली। पड़ताल के दौरान कई केंद्र ऐसे मिले जहां साल भर पूर्व 30 करोड़ की लागत से अलमीरा,वाटर प्यूरीफायर ,बुक सेल्फ,पेटी प्रदाय किया जा चुका है ,जो आज तंगहाल में हैं व शो पीस बने हैं। बावजूद इसके उन केंद्रों को सक्षम योजना से भी लाभान्वित कर पुनः अलमीरा ,पेटी ,फर्नीचर प्रदाय किया जा रहा। पोंडी परियोजना के रावा सेक्टर के धौराभांठा,,पसान परियोजना के नवापारा समलाई, कोरबा शहरी के पुरानी बस्ती ,पथर्रीपारा ,कोरबा ग्रामीण के भैसमा सेक्टर के केंद्रों में यह तस्वीर देखी जा सकती है। सवाल यह है कि क्या इन केंद्रों के चिन्हांकन से पहले इस बात का ख्याल रखा गया या फिर चुनाव पूर्व आबंटन खत्म करने मनमाने तरीके से करोड़ों के सामाग्री की आपूर्ति कर दी गई। केंद्रों में प्रदाय सामाग्रियों की सुरक्षा की भी चिंता
कार्यकर्ताओं को सता रही है।

केंद्र जर्जर, पीने तक का पानी नहीं, शोपीस बने आरओ वाटर प्यूरीफायर

पूर्ववर्ती सरकार ने जर्जर आंगनबाड़ी केंद्रों की जगह नवीन आंगनबाड़ी भवन निर्माण, जीर्णोद्धार की दिशा में सार्थक पहल करने की जगह केंद्रों में सामाग्री आपूर्ति पर ध्यान केंद्रित किया। नतीजन आज सक्षम योजना से भी लाभान्वित अधिकांश केंद्र जर्जर अवस्था मे हैं कइयों में बाउंड्रीवाल नहीं ,कई भवन तंग हाल में अत्यंत जर्जर हैं। डीएमएफ से लगे करोड़ों के वाटर प्यूरीफायर जल स्रोत नहीं होने की वजह से विद्युतीकरण के अभाव में शो पीस बने हैं। हसदेव की पड़ताल में प्रायः सभी जगह लगे वाटर प्यूरीफायर खराब मुंह चिढ़ाते मिले ।

संचालनालय से हो रही आपूर्ति : प्रीति खोखर चखियार, डीपीओ, मबावि कोरबा

संचालनालय से सामाग्रियों की आपूर्ति हो रही है। लिहाजा इस विषय में अधिक जानकारी नहीं दे सकते।

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