Korba

नौकरी-मुआवजा की आश में पुरखों की गंवा दी जमीन पर SECL गेवरा परियोजना की बेरुखी से मिली रुसवाई :310 भूविस्थापित नौकरी की और 852 मुआवजा की ताक रहे राह, जानिए 7 गांवों के प्रभावितों के संघर्ष की पूरी कहानी

कोरबा । एसईसीएल गेवरा परियोजना को नौकरी की आश में अपनी पुरखों की बेशकीमती जमीन देने वाले 310 प्रभावित पात्र भूविस्थापित परिवार भू -अर्जन के दशकों बाद भी रोजगार के लिए भटक रहे। वहीं 852 भू विस्थापित परिवारों को मुआवजा नहीं मिल सकी । एसईसीएल की ढुलमुल रवैया की वजह से संघर्षरत प्रभावित परिवारों की नौकरी की आश निराशा में बदल रही। आगामी दो माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में एक बार फिर भूविस्थापितों की इस पीड़ा को प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाकर राजनीतिक रोटी सेंकने विभिन्न दलों के प्रत्याशी प्रभावित परिवारों के दर पर दस्तक देंगे।

सूचना के अधिकार के तहत एसईसीएल गेवरा परियोजना से लंबित रोजगार एवं मुआवजा को मिले दस्तावेज प्रबंधन की नाकामी साबित करने के लिए काफी है ।उपलब्ध जानकारी अनुसार एसईसीएल गेवरा परियोजना क्षेत्रान्तर्गत कोयला उत्खनन हेतु पोंडी, अमगांव, बाहनपाठ, भठोरा, रलिया, भिलाईबाजार एवं नराईबोध की भूमि का अर्जन के एवज में रोजगार के लिए जिला पुनर्वास समिति की अनुशंसा से लागू कोल इंडिया पुनर्वास नीति के प्रावधानों के तहत ग्रामों की सकल निजी भूमि के प्रति 2 एकड़ के हिसाब से कुल सृजित रोजगार को कलेक्टर कोरबा द्वारा अनुमोदित /संशोधित अर्जित भूमि के खातों की घटते क्रम की सूची के कट ऑफ प्वॉईंट तक रोजगार दिए जाने का प्रावधान रखा गया है । एसईसीएल गेवरा द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी अनुसार परियोजना से प्रभावित इन सातों गांवों में कुल 1079 भूविस्थापित रोजगार (नौकरी) के लिए पात्र पाए गए थे। प्रबंधन ने इनमें से 769 को नौकरी तो दे दी लेकिन 310 भूविस्थापित अभी भी नौकरी की आश संघर्ष कर रहे ।हालांकि इनमें से 103 प्रकरण प्रकियाधीन हैं। वहीं बात करें मुआवजा की तो 5 हजार 478 प्रभावित खातेदार मुआवजा के लिए पात्र पाए गए थे। इनमें से 4 हजार 416 खातेदारों को मुआवजा दे दिया गया है। लेकिन 852 खातेदार आज भी मुआवजा की राह तक रहे। प्रबंधन के अनुसार कुल 210 लंबित मुआवजा भुगतान की राशि को मुआवजा भुगतान हेतु केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त पार्ट टाईम/जिला जज बिलासपुर के न्यायालय में जमा की गई है।

प्रभावितों ने लंबित नौकरी, मुआवजा की आश में एसईसीएल प्रबंधन के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी। दफ्तर मुख्यालयों की दौड़ लगाई ।इस बीच तमाम जनआंदोलन के बीच प्रशासन के मध्यस्थता के बीच प्रभावितों को शीघ्र लंबित नौकरी ,मुआवजा दिए जाने का आश्वासन मात्र मिला। लेकिन तमाम आश्वासन के बाद भी नतीजे सिफर रहे। भूविस्थापित आज भी ठगा सा महसूस कर रहे। कई पात्र परिवार आज संघर्षपूर्ण जीवन व्यतीत कर रहे।

वोट बैंक की राजनीति का बनते रहे हिस्सा

एसईसीएल के प्रभावित भू -विस्थापित हर आम चुनावों में वोट बैंक की राजनीति का हिस्सा बनते रहे । विभिन्न राजनीतिक दल अपने अपने प्रत्याशियों को जिताने भूविस्थापितों की इस प्रमुख समस्या (मुद्दे) को चुनावी ट्रंप कार्ड के रूप में इस्तेमाल करते रहे । इनकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ करते रहे । नौकरी ,मुआवजा मिलने की आश में हर आम चुनावों में हजारों भूविस्थापित परिवारों ने इन पर विश्वास जताया ,लेकिन जीत मिलते ही जनप्रतिनिधियों की भू -विस्थापितों के इस दर्द को भूलने की फितरत बरकरार रही। नतीजन आज भी पात्र भूविस्थापितों अपने हक से वंचित हैं।

एसईसीएल कुसमुंडा, दीपका परियोजना में भी सैकड़ों प्रकरण लंबित प्रबंधन छुपा रही जानकारी

भूविस्थापितों के लंबित नौकरी, मुआवजा की कहानी सिर्फ एसईसीएल गेवरा परियोजना की नहीं है, एसईसीएल दीपका एवं कुसमुंडा परियोजना में भी सैकड़ों प्रकरण दशकों से लंबित हैं,जिनकी जानकारी दोनों परियोजना छुपा रहे हैं। इन दोनों परियोजनाओं में फर्जी नौकरी की भी शिकायतें समय समय पर आती रही हैं। जिसकी भी जानकारी प्रबंधन मीडिया से छुपा रही है । जिसको दोनों परियोजनाओं की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे। निश्चित तौर पर अगर बारीकी से तीनों परियोजनाओं से लंबित प्रकरणों की जांच हो तो हजारों भूविस्थापित सामने आएंगे जो अपने हक से वंचित हैं।

लंबित रोजगार प्रकरण एक नजर में

ग्रामकुलनिराकृतलंबितप्रक्रियाधीन
पोंड़ी1791473210
अमगांव2962187823
बाहनपाठ122873511
भठोरा1591223715
रलिया53262704
भिलाईबाजर40182206
नराइबोध2301517934
योग1079769310103

लंबित मुआवजा प्रकरण एक नजर में

ग्रामकुलनिराकृतलंबितप्रक्रियाधीन
पोंड़ी1419127114800
अमगांव122698624000
बाहनपाठ105884800210
भठोरा4994425700
रलिया2561728400
भिलाईबाजर161936800
नराइबोध85960425500
योग54784416852210

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