कृष्ण कुंज से पल्लवित होता प्रकृति के साथ संस्कृति का मेल : विकसित स्वरूप में नजर आ रहे कृष्ण कुंज, पिछली जन्माष्टमी में हुई थी योजना की शुरूआत
रायगढ़ । मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के मंशानुसार नगरीय क्षेत्रों में हरियाली को बढ़ावा देने तथा एक ही जगह पर विभिन्न प्रकार के धार्मिक-सांस्कृतिक महत्व के पौधों की उपलब्धता के उद्देश्य से नगरीय निकायों में कृष्ण कुंज की स्थापना कर पौधे रोपित किए गए है। ये कृष्ण कुंज अब अपने विकसित स्वरूप में नजर आ रहे है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के मंशानुसार पिछले वर्ष जन्माष्टमी के अवसर पर नगरीय निकाय क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर जीवन उपयोगी वृक्षों का रोपण एवं संरक्षण किया जा रहा है। इसी उद्देश्य के साथ वृक्षारोपण को जन-जन और सांस्कृतिक विरासत से जोडऩे एवं विशिष्ट पहचान देने के लिए इसका नाम कृष्ण कुंज रखा गया है। जहां सांस्कृतिक महत्व के विभिन्न पौधे कृष्ण वट, बरगद, बटुक, पीपल, अंजीर, सेव, आम, कल्पतरू, पदम, बेल, नारियल, इमली, नीम, पारस, पीपल, रामफल, बादाम आदि के पौधे रोपे गये है।
शहरों में लोगों के लिए उद्यान, बाग-बगीचे अब नहीं के बराबर है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा इसी कमी को दूर करने के लिए कृष्ण कुंज योजना तैयार की गई है। कृष्ण कुंज से लोगों को आत्मिक शांति और खुशनुमा वातावरण उपलब्ध होगा। कृष्ण कुंज एक ऐसा स्थान है, जहां लोगों के जीवन उपयोगी पेड़-पौधों का रोपण किया गया है। कृष्ण कुंज की कल्पना को साकार करने और इसमें लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए औषधीय महत्व के पौधों के साथ-साथ छत्तीसगढ़ की संस्कृति, पर्व की दृष्टि से भी उपयोगी और महत्वपूर्ण पौधों का रोपण किया गया है। रायगढ़ जिले में रायगढ़ वनमंडल के तहत बांझीनपाली, घरघोड़ा एवं पुसौर तथा धरमजयगढ़ वनमंडल के तहत लैलूंगा व धरमजयगढ़ में कृष्ण कुंज बनाए गए है।
वनमंडलाधिकारी रायगढ़ सुश्री स्टायलो मण्डावी ने बताया कि कृष्ण कुंज में सांस्कृतिक महत्व व औषधीय पौधों का रोपण किया गया है। कृष्ण कुंज को एक वाटिका के रूप में विकसित किया जा रहा है। यहां पाथवे बनाए गए है। जहां लोग आकर वॉक कर सकते है। इसके साथ ही यहां रोपे गए पौधों के बारे में जानकारी ले सकते है।
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