Bilaspur

कॉल रिकॉर्ड करने वाले हो जाएं सावधान : हो सकती है दो साल की सजा, पढ़िये पूरी खबर

बिलासपुर । भारत में कॉल रिकार्डिंग को लेकर लोग बेहद परेशान रहते हैं। कोई कॉल रिकार्डिंग करने को परेशान है तो कोई किसी और द्वारा किए कॉल रिकार्ड को लेकर परेशान है। आईफोन वाले इस बात से परेशान रहते हैं कि उनके फोन में कॉल रिकार्डिंग की सुविधा ही नहीं है। यदि आप भी इनमें से किसी भी कैटेगरी में आते हैं तो यह खबर आपके लिए बहुत ही काम आने वाली है ।

अब फोन पर किसी के कॉल को रिकॉर्ड करना आपको महंगा पड़ सकता है। यह हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन है और इसके लिए आईटी एक्ट की धारा 72 के तहत कार्रवाई हो सकती है।

फोन को रिकार्ड करना निजता के अधिकार का उल्लंघन

फोन टैपिंग के चर्चित केस नीरा राडिया पर दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पति-पत्नी विवाद के बीच मोबाइल रिकार्डिंग के मामले पर फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है, किसी भी सूरत में कॉल रिकार्डिंग को साक्ष्य के तौर पर अदालत में पेश नहीं किया जा सकता। कोर्ट के मुताबिक बिना मंजूरी मोबाइल फोन कॉल रिकार्ड करना संविधान की धारा 21 के तहत निजता के अधिकार का उल्लंघन है।

फैमिली कोर्ट के फैसले को किया रद्द

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के उस फैसले को भी रद्द कर दिया है जिसमें सबूत के तौर पर रिकार्डिंग को पेश करने की इजाजत दी गई थी। हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में ऐसा प्रतीत होता है कि याचिकाकर्ता पत्नी से हुई बातचीत को उनकी जानकारी के बिना रिकार्ड कर लिया। यह कारगुजारी संवैधानिक अधिकारों का सीधा उल्लंघन है।

यह है पूरा मामला

पूरा मामला छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले का है। यहां पत्नी ने फैमिली कोर्ट में पति से गुजारा भत्ता दिलाने के लिए आवेदन किया था। जिसके बाद पति ने फैमिली कोर्ट में पत्नी की बातचीत की रिकार्डिंग कोर्ट में साक्ष्य के रूप में पेश करने की मंजूरी मांगी थी। पति ने पत्नी की चरित्र पर भी आरोप लगाया था। पति की इस मांग को फैमिली कोर्ट ने स्वीकार करते हुए रिकार्डिंग को साक्ष्य के तौर पर लिया। फैमिली कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ पत्नी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

यह कहता है कानून

यदि किसी के इजाजत के बिना मोबाइल या फोन रिकार्ड की जाती है तो वह आईटी एक्ट -2000 की धारा 72 का उल्लंघन है। इसके तहत किसी भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के जरिए व्यक्ति के मंजूरी के बिना उससे जुड़ी सूचना, दस्तावेज या अन्य सामाग्री हासिल करना और उसे उसकी मंजूरी या जानकारी के बिना सार्वजनिक करना धारा-72 का उल्लंघन है। इसके तहत 2 साल की सजा और 1 लाख जुर्माने का प्रावधान है।

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