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कोरबा जिले में जमकर भ्रष्टाचार : रीपा भी चढ़ी भ्रष्टाचार की भेंट, युवा उद्यमियों की जगह चहेते समूहों को काम और समूहों की जगह वेंडरों को करोड़ों का भुगतान, जांच में नपेंगे जिम्मेदार अफसर और फर्म, पढ़िये पूरी खबर

कोरबा । ग्रामीण औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा देने अकांक्षी जिला कोरबा में तैयार 10 रीपा (ग्रामीण औद्योगिक पार्क) भी नियमों की अनदेखी से भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। युवा उद्यमियों की जगह चहेते समूहों को काम एवं समूहों की जगह दबावपूर्वक वेंडरों को करोड़ों का भुगतान किए जाने की चर्चाएं व्याप्त हैं। रामपुर विधायक ननकीराम कंवर की शिकायत के बाद भी प्रकरण में कार्रवाई नहीं होने से आने वाले समय में प्रकरण में संबंधित समूह और वेंडर से लेकर जिम्मेदार अधिकारी नप सकते हैं।

यहां बताना होगा कि रीपा के अंतर्गत विकासखण्ड कोरबा के चिर्रा और सरईडीह (पहंदा), कटघोरा के अरदा और रंजना, पाली के केराझरिया और नोनबिर्रा, पोड़ी-उपरोड़ा के कापूबहरा और सेमरा एवं करतला के जमनीपाली और कोटमेर में रीपा स्थापित किए जा रहे हैं। जिसमें 60 गतिविधियों का संचालन किया जाना था। 25 मार्च को प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के हाथों जिले के सभी 10 रीपा के साथ सराईडीह के रीपा का वर्चुअल उद्घाटन हुआ था। लेकिन उद्घाटन के महीनों बाद रीपा की संरचनाएं पूर्ण नहीं हो पाई। वहीं आज भी अधिकांश रीपा में शासन की मंशा साकार नहीं हो सकी।

आँकाक्षी जिला कोरबा में पूर्व कलेक्टर एवं जिला पंचायत सीईओ के नेतृत्व में जिला पंचायत, एनआरएलएम के जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारियों ने नियम कायदों को ही ताक में रख दिया। रीपा का उद्देश्य ग्रामीण युवा उद्यमियों को स्वरोजगार से जोड़ने की थी लेकिन अफसरों के दबाव में चहेते महिला स्व समूहों से कार्य लिया गया। यही नहीं महिला स्व सहायता समूहों को निर्माण एवं सामग्री क्रय किए जाने के एवज में भुगतान की जगह चहेते वेंडरों को समूहों से खाली चेक भरवाकर दबावपूर्वक भुगतान किया गया।

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हमारी टीम को नाम न छापने की शर्त पर समूहों ने बताया कि जिला पंचायत के अधिकारियों ने उनसे 3 ब्लेंक पेपर पर हस्ताक्षर लिए थे जिसमें वर्क आर्डर, कोटेशन सहित अन्य प्रक्रिया अफसरों ने ही भरे। कोरबा में मनरेगा, रीपा एवं एसएलडब्ल्यूएम के कार्यों में आज भी वही नामचीन वेंडर अफसरों की मेहरबानी से निर्माण एवं सप्लाई का कार्य कर रहा।

बाजार दर से दोगुने दर में गुणवत्ताहीन मशीनों और सामग्रियों की खरीदी की गई है। शेड गुणवत्ताहीन हैं। चिर्रा स्थित रीपा में करीब डेढ़ करोड़ रुपए का कार्य बिना प्रशासकीय स्वीकृति के किया गया है। रीपा की टीएएसए ने निर्माण एवं सामग्री दोनों का कार्य किया, जबकि इसके लिए विधिवत टेंडर होना था। इस तरह वेंडरों अफसरों की जुगलबंदी से करोड़ों रुपए का बंदरबाट कर मूल मंशा पर पानी फेर दिया गया है।

यह कार्य होना था

रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क में नमकीन-मिक्चर युनिट, स्टेशनरी, तेल प्रसंस्करण, चिक्की, बेकरी और पापड़ जैसी अन्य आजीविका मूलक गतिविधियों की इकाईयां स्थापित की जाएंगी, जिसमें 356 हितग्राही लाभान्वित होंगे। शासन द्वारा विकासखण्ड कोरबा के ग्राम पंचायत सराईडीह (पहंदा) गौठान में 1 करोड़ 18 लाख की लागत से रीपा की तकनीकी प्रशासकीय स्वीकृति दी गई है। जिसके तहत पोहा निर्माण इकाई शेड निर्माण कार्य, पेपर बैग, मिठाई शेड निर्माण इकाई, पास्ता, सेवई शेड निर्माण, नमकीन, मिक्सचर, चिक्की निर्माण इकाई, गौठान परिसर में सोयाबीन बड़ी शेड निर्माण कार्य, नूडल्स शेड निर्माण एवं हल्दी मिर्च मसाला शेड निर्माण का कार्य किया जाना था। जिस तरह करोड़ों रुपए की लागत से रीपा की स्वीकृति दी गई है। इसमें से एक बड़ी राशि शेड निर्माण में व्यय किया जा रहा है। लगभग सभी रीपा में संरचनाएं तो तैयार हो गई हैं लेकिन औद्योगिक गतिविधियां शुरू नहीं हो सकी हैं, जिसे देखते हुए जनमानस के बीच यह चर्चाएं व्याप्त है कि योजना का उद्देश्य फर्मों को लाभ पहुंचाने तक सीमित रह गया है।

रामपुर विधायक ने उठाया था मुद्दा

ज्ञात हो कि रामपुर विधायक ननकीराम कंवर ने
भूपेश सरकार के अंतरिम बजट में महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (रीपा) के अंतर्गत कोरबा जिले में तैयार किए जा रहे रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क (रीपा) के निर्माण में किए जा रहे अनियमिताओं पर सरकार को घेरा था। रामपुर विधायक व प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने बजट सत्र में तारांकित प्रश्न क्रमांक 3561 के जरिए रीपा के स्वीकृति एवं निर्माण से जुड़ी प्रक्रिया से संबंधित समस्त जानकारी मांग पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की नींद उड़ाकर पूरे महकमे में हड़कंप मचा दिया था।

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