बिगड़ी धान उठाव की चाल, कोथारी और केरवाद्वारी में पांव रखने की नहीं बची जगह : फड़ प्रभारियों ने धान खरीदी बंद करने दिया अल्टीमेटम, आधा दर्जन केंद्रों में भी लिमिट बढ़ने और परिवहन प्रभावित होने से बिगड़ी व्यवस्था
कोरबा । जिले में डीओ कटने के बाद भी लचर परिवहन व्यवस्था की वजह से उपार्जन केंद्रों में जाम के हालात निर्मित हो रहे। पड़ताल में इस बदइंतजामी एवं तय मियाद में खरीदी लक्ष्य हासिल करने प्रतिदिन खरीदी लिमिट बढ़ाए जाने की वजह से उपार्जन केंद्र कोथारी, केरवाद्वारी में जगह के अभाव में खरीदी बंद होने की नौबत आ गई है। समिति के फड़ प्रभारियों ने इससे आगाह कर दिया है। वहीं आधा दर्जन से अधिक उपार्जन केंद्रों में व्यवस्था बिगड़ सकती है।
यहां बताना होगा कि पूरे छत्तीसगढ़ प्रदेश में 1 दिसंबर से लेकर 31 जनवरी तक नगद एवं लिंकिंग व्यवस्था के तहत पंजीकृत किसानों से धान खरीदी का कार्य किया जा रहा है जिले के 41 समितियों के 65 उपार्जन केंद्रों में धान खरीदी जारी है। जिले को इस साल 25 लाख 70 हजार क्विंटल धान खरीदी का लक्ष्य दिया गया है 41 समितियों के 65 उपार्जन केंद्रों में पंजीकृत 50 हजार 912 किसानों के माध्यम से धान खरीदी का कार्य किया जाना है। ‘मोदी की गारंटी ‘ (3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी एवं 2 साल का बोनस ) का वादा पूरा होने से किसान धान बेचने जबरदस्त उत्साह दिखा रहे। जिले में अब तक 22 हजार 113 किसान 11 लाख 57 हजार 201 क्विंटल धान बेच चुके हैं। समर्थन मूल्य पर इसकी कीमत 252 करोड़ 61 लाख 71 हजार 572.80 रुपए की है। जिसका किसानों को सहकारी बैंकों के सभी 6 शाखाओं के माध्यम से भुगतान किया जा रहा है। हालांकि अभी भी जिला तय लक्ष्य का 50 फीसदी भी धान की खरीदी का लक्ष्य पूरा नहीं कर सका है। जिसे देखते हुए उपार्जन केंद्रों की प्रतिदिन धान खरीदी की औसतन लिमिट लगभग दोगुनी कर दी गई है। प्रतिदिन औसतन 50 हजार क्विंटल से अधिक की धान खरीदी हो रही। अचानक लिमिट बढ़ाए जाने से समितियां वैसे ही हैरान थीं , राइस मिलरों द्वारा डीओ काटे जाने के बाद भी धान का उठाव नहीं करने की वजह से समितियों में जाम के हालात निर्मित हो रहे।
हमारी टीम ने जब मंगलवार को उपार्जन केंद्रों का जायजा लिया, जहां हैरान करने वाली स्थिति नजर आई। उपार्जन केंद्र कोथारी एवं केरवाद्वारी में धान खरीदी बंद होने की नौबत आ गई है । दोनों उपार्जन केंद्रों में पांव रखने की जगह नहीं है । कोथारी की लिमिट 1300 क्विंटल से बढ़कर 2300 क्विंटल कर दिया गया है। वहीं केरवाद्वारी की लिमिट 1600 से बढ़ाकर 2600 क्विंटल प्रतिदिवस तय कर दी गई है। लेकिन दोनों ही उपार्जन केंद्रों में पहले से ही मार्कफेड की लचर अदूरदर्शितापूर्ण परिवहन व्यवस्था की वजह से बफर लिमिट से भी अधिक धान जाम हैं,ऊपर से डीओ कटने के बाद भी राइस मिलरों के वाहन नहीं आने से केंद्रों में पांव रखने की जगह नहीं मिल रही। उपार्जन केंद्र कोथारी में किसान सुबह 5 बजे से ट्रेक्टर में धान लेकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे। कोथारी के फड़ प्रभारी तुलसी साहू एवं केरवाद्वारी के फड़ प्रभारी चंद्रभूषण वर्मा ने दो टूक लहजे में कहा कि लचर परिवहन व्यवस्था एवं राइस मिलरों के वाहन नहीं आने की वजह से यह स्थिति निर्मित हुई है । तत्काल उठाव करें अन्यथा हमें धान खरीदी बंद करना पड़ सकता है।
इन केंद्रों में भी बिगड़ी स्थिति
पड़ताल में कोथारी, केरवाद्वारी के अलावा बरपाली, पठियापाली (बरपाली), भैसमा, तुमान, चिकनीपाली, नवापारा, रामपुर में भी स्थिति खराब नजर आई। यहां भी आने वाले दिनों से खरीदी व्यवस्था प्रभावित हो सकती है। यहां भी लिमिट बढ़ने से धान की आवक बढ़ी है लेकिन उठाव की गति अत्यंत मंद पड़ी है।
उपार्जन केंद्र प्रभारी डीओ लिस्ट दें, तत्काल व्यवस्था दुरुस्त कराएंगे : डीएमओ जान्हवी जिल्हारे
उपार्जन केंद्र प्रभारियों को बोलें कि हमें डीओ लिस्ट दे देगें तो हम तत्काल व्यवस्था दुरुस्त कराएंगे। जिले में उठाव की स्थिति बेहतर है। 75 से 80 प्रतिशत उठाव हो चुका है।