Korba

न नियमों की परवाह और न ही कार्रवाई का डर, बेलगाम हुआ कोरबा डीईओ कार्यालय : आदेश के बाद भी अनियमितता छुपाने डीएमएफ से लेकर आत्मानंद स्कूलों में भर्ती की दबाई जानकारी, 50 हजार के अर्थदंड से भी नहीं लिया सबक, जल्द नपेंगे जिम्मेदार

कोरबा । पूरी तरह निरकुंश हो चुके तमाम तरह के भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी को न नियमों की परवाह है और न ही कार्रवाई का डर है। जन सूचना अधिकारी कांग्रेस शासनकाल में ही बने सूचना के अधिकार अधिनियम एवं अपीलीय अधिकारी के आदेशों की धज्जियां उड़ा कर स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी एवं हिंदी माध्यम के विद्यालयों में प्रतिनियुक्ति पर हुई शिक्षकों की भर्ती संबंधित प्रक्रिया, डीएमएफ से भवन निर्माण एवं सामाग्री आपूर्ति की जानकारी छुपा रहे। हाल ही में पूर्व जन सूचना अधिकारी को 50 हजार रुपए का राज्य सूचना आयोग से अर्थदंड के बाद भी विभाग की मनमाने कार्यशैली में सुधार नहीं आना किसी व्यापक अनियमितताओं को बल दे रहा है। प्रकरण में जल्द ही जिम्मदारों पर कार्रवाई की गाज गिरेगी।

यहां बताना होगा कि पिछले डेढ़-दो साल से कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी कोरबा पूरी तरह बेलगाम हो चुका है। शिक्षकों की पदस्थापना, पदोन्नति, संकुल समन्वयकों की पदस्थापना, डीएमएफ से सामग्रियों की खरीदी आदि प्रक्रियाओं में भ्रष्टाचार के गम्भीर आरोप लगते रहे, जिसकी शिकायत राज्य कार्यालय तक हुई लेकिन आज पर्यन्त जिम्मदार जिले में ही बने हुए हैं।

हद तो तब हो गई जब कार्यालय संयुक्त संचालक शिक्षा संभाग बिलासपुर के निर्देश कार्यलयीन पत्र क्रमांक 6208, 6210, 6212, 6214, 6216, 6222, 6226, 62224 एवं 6228 दिनांक 21-09-2023 के तहत पारित आदेश की अवहेलना कर स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालयों के भवन निर्माण की प्रशासकीय स्वीकृति, शासकीय विद्यालयों के मरम्मत, रेनोवेशन अतिरिक्त कक्ष निर्माण, विद्यालयों के लिए जारी प्रशासकीय स्वीकृति, अतिशेष शिक्षकों, जिला कार्यालय एवं समग्र शिक्षा में पदस्थ अधिकारी कर्मचारी, दिव्यांगता प्रमाण पत्र के आधार पर नियुक्त शिक्षकों/व्याख्याताओं तक की जानकारी 10 दिवस बीतने के बाद भी उपलब्ध नहीं कराई गयी।

प्रतिनियुक्ति के तहत पदस्थ शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया सन्देहास्पद, जानकारी देने किया टालमटोल, शासन से हुई शिकायत

यही नहीं विभाग ने स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट शासकीय अंग्रेजी एवं हिंदी माध्यम के विद्यालयों में शिक्षकों के प्रतिनियुक्ति संबंधी पात्रता नियमावली, प्राथमिकता निर्धारण नियमावली, चयन सूची पदस्थापना आदेश, डेमो क्लास की सीडी/वीडियोग्राफी, वरीयता सूची और इंटरव्यू में प्राप्त अंक की जानकारी भी छुपाई। मामले की अपील जहां संयुक्त संचालक शिक्षा संभाग बिलासपुर के यहाँ अपील में तो प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग छग शासन के यहाँ जांच के लिए पहुंच चुका है।

खेलकूद आयोजनों के लिए प्राप्त राशि में भी बंदरबाट, छुपाई गयी जानकारी

स्कूल शिक्षा विभाग छग शासन द्वारा जिला स्तरीय खेलकूद आयोजनों के लिए स्वीकृत राशि, निजी स्कूलों के प्राचार्य को संयोजक बनाए जाने संबंधी निर्देशिका 2021-22 से लेकर चालू वित्तीय वर्ष तक स्कूल शिक्षा विभाग छग शासन द्वारा राज्य स्तरीय, जिला स्तरीय एवं क्षेत्रीय खेलकूद आयोजनों के लिए प्राप्त राशि की देयक व्हाउचर, कैश बुक, चेक पंजी भी छुपाई जिससे व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार की संभावनाओं को बल मिल रहा। मामले की अपील जहां संयुक्त संचालक शिक्षा संभाग बिलासपुर के यहाँ अपील में तो प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग छग शासन के यहाँ जांच के लिए पहुंच चुका है।

डीईओ की सेवानिवृत्ति में 6 माह बचा, अधिकारी, लिपिक बेलगाम! मनमानी पर उतरे डीएमसी समग्र शिक्षा

डीईओ श्री जी पी भारद्वाज की सेवानिवृत्ति में महज 6 माह का ही समय शेष रह गया है। स्थानांतरण नीति/नियमों के तहत उनका तबादला नहीं हो सकता। वहीं दूसरी ओर डीईओ के अल्प समय की सेवा को देखते हुए विभाग के अन्य अधिकारी लिपिक पूरी तरह बेलगाम हो गए हैं। समग्र शिक्षा के डीएमसी संजय सिंह उनके मातहत एपीसी तमाम निर्देशों के बाद भी डीईओ कार्यालय को जानकारी उपलब्ध नहीं कराते। डीएमएफ से जुड़ी तमाम जानकारी डीएमसी कार्यालय को उपलब्ध कराई जाती रही है लेकिन निर्माण से लेकर खरीदी आपूर्ति में चर्चित डीएमसी कार्यालय को इसकी कोई परवाह नहीं।

यहां निर्वाचन आयोग का अभयदान, दस सालों से जमे अधिकारियों का नहीं हुआ तबादला

प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता एक दो दिन में लागू हो जाएगी। इससे पूर्व लगभग सभी विभागों में 3 साल से अधिक समयावधि से जमे अधिकारी, कर्मचारियों का तबादला हुआ है लेकिन शिक्षा विभाग में स्कूल शिक्षा विभाग, माननीयों के अलावा निर्वाचन आयोग की ऐसी मेहरबानी रही है कि आज पर्यन्त 8-10 साल से पदस्थ एपीओ, एपीसी का स्थानांतरण नहीं किया जा सका। ब्लाक में भी अधिकारी दस साल से जमे हुए हैं।

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