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Korba Breaking : अमले की कमी से सिसकता स्वास्थ्य विभाग, एमपीडब्ल्यू के 36 फीसदी पद अब भी हैं खाली, देखें रिक्त पद

कोरबा । मानसून ने जैसे ही दस्तक दी है वैसे ही मौसमी बीमारियां भी अब पांव पसारने लगी है। ऐसे में लोगों के स्वास्थ्य की बागडौर एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग के कंधों पर आ गई है। लेकिन आकांक्षी जिला कोरबा में स्वास्थ्य विभाग के स्वीकृत 1347 पदों में से 488 (करीब 36 फीसदी) पदों की रिक्तता ने चुनौती बढ़ाकर रख दी है। विशेषज्ञ चिकित्सकों तथा स्टॉफ नर्स सहित कई स्वास्थ्य अमलों की कमी से एक बार फिर से स्वास्थ्य विभाग को 15 लाख की आबादी को सेवाएं देने जूझना पड़ेगा।

यहां बताना होगा कि कोरबा जिले में स्वास्थ्य विभाग लंबे अर्से से अमले की कमी से जूझता हुआ दिखाई दे रहा है। शासन की अनदेखी की वजह से स्वास्थ्य विभाग में स्वीकृत पदों में से करीब 36 फीसदी पद अब तक नहीं भरे जा सके। 1347 पदों में से 488 पद अभी भी रिक्त पड़े हुए हैं। इनमें नियमित के 993 स्वीकृत पदों में से 312 पद रिक्त हैं। एनएचएम के 354 स्वीकृत पदों में से 176 पद नहीं भरे जा सके।

वहीं हम आगे बात करें सबसे प्रमुख पद विशेषज्ञ चिकित्सकों की तो नियमित एवं एनएचम के कुल स्वीकृत 46 पदों में से 38 पद रिक्त हैं। महज 8 विशेषज्ञ चिकित्सकों की वजह से प्रभावित हो रही स्वास्थ्य सेवाओं को देखते हुए डीएमएफ से 4 विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवाएं ली जा रही है। स्टाफ नर्स की समस्या से भी जिला जूझ रहा है। स्टॉफ नर्स के नियमित व एनएचएम के कुल 288 पदों में से 137 पद रिक्त हैं जबकि लैब टेक्नीशियन के 74 पदों में से 27 तब तक नहीं भरे जा सके। ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक पुरुष के 260 स्वीकृत पदों में से 111 तथा ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक महिला के 300 स्वीकृत पदों में से 69 पद रिक्त हैं। पीजीएमओ के 3, चिकित्सा अधिकारी के 5, दंत चिकित्सक के 1, ग्रामीण चिकित्सा सहायक के 6, नेत्र सहायक अधिकारी के 22 तथा फार्मासिस्ट ग्रेड -2 के 29 पद नहीं भरे जा सके।

क्या सिंहदेव के उपमुख्यमंत्री बनने के बाद सुधरेगी स्थिति?

प्रदेश में स्वास्थ्य मंत्री की बागडौर संभाल रहे वरिष्ठ नेता टी.एस. सिंहदेव उपमुख्यमंत्री बनाए गए हैं। जिससे आकांक्षी जिलों के स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की संभावनाएं बढ़ गई हैं। आने वाले वक्त में कोरबा को इसका कितना लाभ मिलेगा यह देखना दिलचस्प होगा। मैन पावर की कमी से सिसकती हेल्थ सिस्टम को पटरी पर लाने की अहम चुनौती होगी।

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