Korba

कोरबा जिले में धान खरीदी पर अव्यवस्थाओं का आलम हुआ प्रारम्भ : बिना टोकन कटाए निराश लौटते नजर आए किसान, हमालों की तरह स्वयं कर रहे बारदानों की सिलाई

कोरबा । छत्तीसगढ़ प्रदेश में समर्थन मूल्य पर 1 नवंबर से किए जा रहे धान खरीदी अभियान के दौरान जिले में अव्यवस्थाओं का आलम भी शुरू हो चुका है। पड़ताल में उपार्जन केंद्र बरपाली में टोकन कटाने पहुंचे किसान जहां बेरंग लौटे वहीं कई किसान हमालों की तरह अपने बेचे गए धान के बारदानों (बोरों )की सिलाई करते नजर आए। जिम्मेदार अधिकारियों के मॉनिटरिंग में ढिलाई की वजह से किसान व्याप्त असुविधाओं से खासे नाराज नजर आए।

बेरंग लौटे किसान, नही कटा टोकन

आज जब प्रातः 11 बजे जैसे ही हमारी टीम उपार्जन केंद्र बरपाली में व्यवस्थाओं का जायजा लेने पहुंची तो धान बेचने टोकन कटाने सैकड़ों किसान नजर आए। लेकिन जर्वे, नवापारा के कुछ किसानों को बिना टोकन काटे ही वापस जाने की बात कही गई। जर्वे के किसान राधेलाल हर साल करीब 38 क्विंटल धान बेचने टोकन कटाने पहुंचे थे जिन्हें बेरंग लौटा दिया गया। हालांकि इसके पीछे समिति प्रबंधक सह विक्रेता राजकुमार साहू का कहना था कि समिति की धान खरीदी की लिमिट प्रतिदिन 23 क्विंटल तक की है। उस लिमिट के अंतर्गत ही किसानों का धान बेचने टोकन काट सकते हैं उससे अधिक नहीं।

मंगलवार को तय लिमिट के अंतर्गत टोकन कट चुका था। लिहाजा उन्हें दूसरे दिवस आने की बात कही गई । साथ ही उन्होंने समिति में 20 हमालों की व्यवस्था की बात कही।लेकिन उनके इस दावे के उलट उपार्जन केंद्र में ही उनके सामने संडेल के किसान सुरेंद्र जांगड़े ,एवं फिरतराम हमालों की तरह अपने बेचे गए धान के बारदानों की सिलाई करते नजर आए। सुरेंद्र 22 क्विंटल तो फिरतराम 37 क्विंटल धान बेचने आए थे। निश्चित तौर पर यह बदइंतजामी किसानों को हतोत्साहित करने वाली साबित हो सकती है। जिम्मेदार विभागों सहित जिला प्रशासन को मामले में उचित संज्ञान लेना चाहिए। ताकि अन्य उपार्जन केंद्रों में अव्यवस्था की स्थिति निर्मित न हो ।

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