मिट्टी खिलाने मात्र से उतर जाता है सांप का विष : यहां नाग पंचमी पर भक्तों का लगता है तांता, जानिए सक्ती जिले के कैथा गांव में स्थित इस मंदिर की कहानी
सक्ति । जिले के जैजैपुर तहसील अंतर्गत स्थित कैथा गांव के बारे में तो आपने सुना ही होगा। यहां की मान्यता है कि इस गांव पर नाग देवता का अनोखा आशीर्वाद है और इस गांव की मिट्टी मात्र में इतनी ताकत है जिसे खिला देने मात्र से जहरीले से जहरीले सांप का विष उतर जाता है।
प्रति वर्ष नाग पंचमी के अवसर पर यहां स्थित बिरतिया बाबा मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगी रहती है। बाबा और नाग देवता की पूजा के लिए हजारों की तादाद में यहां श्रद्धालु हाथ में दूध, लाई नारियल, फूल तथा अगरबत्ती लेकर कतार में अपनी बारी आने का इंतजार करते हैं।
यहां मान्यता है कि बिरतिया बाबा मंदिर में सर्पदंश पीड़ितों को नवजीवन मिलता है, इसलिए लोगों की इन पर अगाध आस्था है। क्षेत्र के लोग सर्पदंश से पीड़ितों को लेकर यहां पहुंचते हैं। लोगों का विश्वास है कि यहां की एक चुटकी धूल से ही सर्पदंश से मुक्ति मिल जाती है। मंदिर की प्रसिद्धि दूर-दूर तक है। लोक आस्था के इस केंद्र में नागपंचमी के मौके पर विशेष पूजा-अर्चना होती है।
यह है यहां की कथा और मान्यता
बिरतिया बाबा के संबंध में यह कथा प्रचलित है कि बहुत पहले कैथा गांव के बाहर खेत के एक गड्ढे में नाग देवता के हलक में एक हड्डी फंस गई और नाग ने अपने स्तर से जबड़ा के बीच में फंसी चीज को निकालने का काफी प्रयास किया। नागसांप के जबड़ा से हड्डी बाहर नहीं निकल रहा था। नागसर्प पीड़ा और दर्द से काफी परेशान था। इसी बीच नागसर्प ने बिरतिया बाबा गौटिया को स्वप्न में कहा गांव के बाहर एक गड्ढा में मेरे जबडा में कोई हड्डी फंस गया और मुझे बहुत परेशानी हो रही है। इतनी बात सुनकर गांव के गौटिया नाग सांप के बताए गड्ढा के पास पहुंच गया। नाग देवता गौटिया को दिखाई दिए और सर्प को देखकर गौटिया को डर लगा और नाग सर्प ने कहा कि गौटिया डरने की कोई बात नहीं है और गौटिया ने साहस करके नाग सांप के जबड़े में फंसी हड़्डी को बाहर निकाला जिससे नागसर्प को दर्द से राहत मिला।
इतने में नागसर्प ने गौटिया को कुछ वरदान के लिए कहा इस पर गौटिया कहा कि उसे धन दौलत कुछ नहीं चाहिए, बस इस बात की कृपा दृष्टि हो जाए की इस गांव में सर्प और बिच्छू दंश से पीड़ित लोगों को जीवनदान मिल जाए। नागराज ने बिरतिया बाबा गौटिया को ऐसा ही वर दिया।
बताते हैं कि इसके बाद से सर्पदंश से पीड़ित लोगों का उपचार यहां होने लगा। कालांतर में बिरतिया बाबा की मौत के बाद गांव में उनके मंदिर की स्थापना कर दी गई। इस मंदिर में पीड़ितों को जीवन दान मिलने लगा। इस मंदिर में क्षेत्र के सर्पदंश पीड़ित लोगों को लाया जाता है। पीड़ित को यहां लिटा कर मंदिर के पास की मिट्टी खिलाकर बदन में लगाया जाता है। इससे सर्पदंश का असर खत्म हो जाता है ऐसा लोगों की मान्यता है।