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कोरबा जिले में वर्किंग वूमेन हॉस्टल संचालन के लिए तीसरी बार भी नहीं मिले दावेदार : अब महिला एवं बाल विकास विभाग ही करेगा संचालन, सालों से बंद भवन में जम रहे धूल और डीएमएफ से खरीदे गए 94 लाख के सामान हो रहे खराब

कोरबा । जिले के निजी व सरकारी संस्थानों में कार्यरत महिलाओं को शहर में किराए पर हास्टल सुविधा मुहैया कराने के लिए सुभाष चौक के निकट फल उद्यान के पीछे जिला खनिज संस्थान न्यास मद से 9.11 करोड़ की लागत से तैयार किये गए वर्किंग वूमेन हॉस्टल भवन के संचालन के लिए जिला प्रशासन महिला एवं बाल विकास विभाग की एनजीओ की तलाश एक साल बाद भी पूरी नहीं हो सकी है। छात्रावास संचालन के लिए तीसरी बार भी मंगाए गए अभिरुचि के प्रस्ताव में पर्याप्त एनजीओ ने रुचि नहीं दिखाई। लिहाजा अब विभाग ने स्वयं वर्किंग वूमेन हॉस्टल का संचालन अपने हाथों में लेने सेटअप (पद) स्वीकृत करने संचालनालय को पत्र लिख दिया है। इधर करोड़ों के भवन व उसके भीतर एक साल पूर्व आपूर्ति की गई 94 लाख की सामग्रियों में धूल जमकर खराब हो रहे हैं। करीब एक माह से शार्ट सर्किट से विद्युतविहीन वर्किंग वूमेन हॉस्टल में चौकीदार की मौजूदगी के बावजूद असमाजिक तत्वों से खतरा बढ़ गया है।

जिले में बढ़ते औद्योगिकीकरण के लिहाज से महानगरीय तर्ज पर कामकामी महिलाओं के लिए आवासीय हॉस्टल की सुविधा महसूस की जा रही थी। जिसे देखते हुए
तत्कालीन कलेक्टर किरण कौशल के कार्यकाल में जिला खनिज संस्थान न्यास मद से वित्तीय वर्ष 2018-19 में कामकाजी महिला छात्रावास भवन (वर्किंग वूमेन हॉस्टल) निर्माण की स्वीकृति दी गई थी। सुभाष चौक के निकट फल उद्यान के पीछे स्थित भू-भाग में भवन तैयार करने क्रियान्वयन एजेंसी नगर पालिक निगम कोरबा के अनुबंधित फर्म मेसर्स विजय कुमार अग्रवाल को 9 करोड़ 11 लाख 12 हजार रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई है। लेकिन हैरान करने वाली बात है कि साढ़े पांच साल बाद भी ऑन रिकार्ड भी यह भवन पूर्ण नहीं हो सका। जिसका प्रमाण बाहर लगाए गए साइन बोर्ड है। जिसमें कार्य पूर्णता दिनांक का कॉलम तारीख का इंतजार कर रहा था। नगर निगम द्वारा महिला एवं बाल विकास विभाग को कुछ माह पूर्व ही भवन को हैंडओवरकिया गया है । कामकाजी महिलाओं के लिए निर्मित सखी निवास छात्रावास के संचालन के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग ने लगातार तीसरी बार अभिरूचि का प्रस्ताव आमंत्रित किया। लेकिन छात्रावास संचालन के लिए पर्याप्त एनजीओ सामने नहीं आए, तीसरी बार एक एनजीओ सामने आया भी तो प्रतिस्पर्धी नहीं होने के कारण वह भी अटक गया। अब विभाग ने स्वयं वर्किंग वूमेन हॉस्टल संचालन का जिम्मा अपने हाथों में लेने की इच्छा जताई है।इसके लिए निर्धारित सेटअप में पद स्वीकृत करने संचालनालय महिला एवं बाल विकास विभाग को पत्र लिखा है। हालांकि इस कार्य में अभी लंबा वक्त लगेगा।

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करोड़ों की सामग्रियों में जम गए धूल, गुणवत्ता भी सन्देहास्पद

एक तरफ जहां साल भर से वर्किंग वूमेन हॉस्टल का संचालन शुरू करने की कवायद में जिला प्रशासन महिला एवं बाल विकास विभाग जुटी है वहीं दूसरी ओर संचालन शुरू होने से पहले ही पिछले एक साल से हॉस्टल में जिला खनिज संस्थान न्यास (डीएमएफ) से शिक्षा विभाग के माध्यम से क्रय कर आपूर्ति किए गए 94 लाख के फर्नीचर चर्चा का विषय बने हुए हैं।

शिक्षा विभाग के माध्यम से महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित किए जाने वाले सखी निवास छात्रावास भवन में करोड़ों रुपए की फर्नीचर सामाग्री की आपूर्ति की गई है। इनमें आफिस आलमारी हेबी, ऑफिस टेबल, स्टडी टेबल, ऑफिस चेयर, स्टडी चेयर, ऑफिस चेयर, छोटा पलंग (6×3 ), बड़ा पलंग (6×6.1/2), साईड टेबल, गद्दा (6 × 3) गद्दा (6× 6.1/2), ड्रेसिंग टेबल, सोफा सेट (3 +1.1.), डायनिंग सेट (6+1), (4+1), सेंटर टेबल (लकड़ी एवं कांच), लकड़ी की आलमारी 6×3, स्टील आलमारी (ग्लास) सहित अन्य शामिल हैं। फर्निशिंग सामाग्री, पर्दा एवं अन्य सामाग्री, टीवी, फ्रीज एवं मॉनिटर सामग्री आपूर्ति किए जाने की बात सामने आ रही। करीब 94 लाख की ही फर्नीचर सामाग्री की आपूर्ति किए जाने का दावा किया जा रहा है। लेकिन साल भर से हॉस्टल में ये रखे सामग्री धूल फांक रहे हैं।

उपयोग एवं रखरखाव के अभाव में इनके खराब होने की संभावना बढ़ गई है। सामग्रियों की गणना कर सत्यापन रिपोर्ट महिला एवं बाल विकास विभाग से मांगा गया था। कई सामाग्री हॉस्टल में अभी भी आपूर्ति नहीं की गई है। हालांकि शासन स्तर पर गुणवत्ता भौतिक सत्यापन की शिकायत के बाद शिक्षा विभाग ने अंतिम भुगतान पर रोक भी लगा रखी है। जो जल्द ही प्रदाय कर दी जाएगी। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या डीएमएफ से फर्नीचर के लिए इतनी बड़ी राशि व्यय किए जाने की दरकार थी।क्योंकि जगदलपुर के इन्द्रावती वर्किंग वूमेन हॉस्टल में करीब 40 लाख रुपए में उपरोक्त सभी सामग्री की खरीदी कर ली गई है। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो यहाँ भी बाजार दर से कहीं अधिक दर में गुणवत्ता को हाशिए पर रख अनावश्यक सामाग्रियों की खरीदी कर राशि का अपव्यय किया गया है। ऐसी क्या परिस्थितियां बन गई कि निगम द्वारा महिला एवं बाल विकास विभाग के संचालन के लिए बनाए गए वर्किंग वूमेन हॉस्टल में शिक्षा विभाग के माध्यम से डीएमएफ से इतनी बड़ी राशि व्यय कर फर्नीचर की खरीदी करनी पड़ी। क्रय से जुड़े समस्त टेंडर प्रक्रिया, क्रय प्रक्रिया, क्रय आदेश, कोटेशन, बिल वहाउचर्स, मांग पत्र, प्रस्ताव का परीक्षण कर सामग्रियों का गुणवत्ता परीक्षण करते हुए भौतिक सत्यापन किए जाने की दरकार है। ताकि जिले के विकास के लिए प्राप्त धनराशि का अपव्यय न हो।

करीब एक माह से बंद पड़ी बिजली, सुरक्षा बनी चुनौती

वर्किंग वूमेन हॉस्टल एवं हॉस्टल में रखे गए करोड़ों की सामाग्री भी सुरक्षा के लिहाज से चिंता का विषय बनी हुई है। भले ही चौकीदार रखे गए हैं पर 17 जुलाई से शार्ट सर्किट के बाद लाइन बंद किए जाने के बाद वो और वर्किंग वूमेन हॉस्टल अंधेरे में हैं। जिसकी वजह से असामाजिक तत्वों से भवन व सामग्रियों की सुरक्षा भी एक अहम चुनोती है।

विभाग करेगा संचालन, संचालनालय से मांगा मार्गदर्शन

मामले में महिला एवं बाल विकास विभाग डीपीओ प्रीति खोखर चखियार ने कहा कि, वर्किंग वूमेन हॉस्टल के संचालन के लिए अभिरुचि के प्रस्ताव आमंत्रित किए गए थे। तीसरी बार भी पर्याप्त एनजीओ नहीं आए। विभाग ही अब संचालन करेगा इसके लिए आवश्यक प्रक्रिया पूरी करने संचालनालय को पत्र लिखा है।

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